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लेखनी कविता -सूरजमुखी का फूल - बालस्वरूप राही

सूरजमुखी का फूल / बालस्वरूप राही


सूरजमुखी और सूरज का बड़ा पुराना नाता है,
सूरज के आने पर खिलता, ढलते ही मुरझाता है।

सुबह-सुबह के सूरज जैसा
इसका रंग सुनहरा है,
इसका भी हर औंधियारे से
बैर बड़ा ही गहरा है,

यह तो दिन भर सूरज की ही ओर ताकता रहता है,
उधर-उधर ही मुँह कर लेता, जिधर-जिधर व्दह जाता है।

हल्की धूप, सुखद छाया में
तो हर फूल महकता है,
हँसता सूरजमुखी मगर तब-
भी जब सूर्य दहकता है,

छुईमुई का फूल नहीं जो छूते ही कुम्हला जाए,
धूप कड़ी हो जाने पर यह और अधिक मुसकाता है।

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